परिचय
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारत जैसे देश में अपराध ज्यादा होते हैं ज्यादातर गरीब लोग के होते हैं जो कि छोटे तबके के होते हैं उनके लिए सरकार ने एससी एसटी एक्ट बनाया है जोकि कोई भी बड़ा व्यक्ति बड़ी जात का आदमी किसी गरीब आदमी को प्रताड़ित करता है तो ऐसी एक्ट के तहत उस पर मुकदमा दर्ज होता है एससी एसटी धारा SC ST Act क्या है, यह कब लागू हुआ यह किनकी लोगों के लिए लागू होता है इसके बारे में मैं आपको विस्तारपूर्वक बताएंगे तो चलिए आपको बताते हैं।
एससी एसटी धारा SC ST Act क्याहै?
इस धारा का मतलब है कि जो भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर कोई भी प्रताड़ना करता है उसको रोकने के लिए कानून बनाया है इसी को हम एससी एसटी धारा SC ST Ac कहते हैं संसद में है कानून 1989 में पारित किया गया लेकिन राष्ट्रपति ने 30 जनवरी 1990 को इस कानून पर मुहर लगा दी तब से यह कानून लागू हो गया .
एएससी एसटी धारा SC ST Act काउद्देश्यक्याथा?
आपको बता दें कि एससी एसटी एक्ट को 1979 में बनाया गया था जिसका मकसद सिर्फ इतना सा था कि हमारे भारतीय समाज में ऐसे जातिवाद के आधार पर लोग अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति हीन कहकर बुलाते थे और उनका अपमान करते थे इसके साथ ही जब से भारत आजाद हुआ तब से जातिवाद और अधिक बढ़ गया हमारे समाज में पढ़े लिखे लोग भी जातिवाद को आजकल बहुत ज्यादा मानते हैं इसके कारण इस एक्ट को लाया गया इस एक्ट का मुख्य कारण है जो कि छोटी जात है जो sc-st से ताल्लुक रखते हैं उनको सामाजिक तौर पर कोई बुरा भला कहे तो वह इस कानून का फायदा उठा सकते हैं और अपने हक के लिए लड़ सकते हैं.
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एससी एसटी धारा SC ST Act कब लागू होता है?
आपको बता दे एससी एसटी एक्ट जब लागू होता है जब कोई दूसरे वर्ग का आदमी किसी दूसरी जाति जैसे कि वह है किसी हरिजन व्यक्त जाति से बिलॉन्ग करता है और उसे कोई यादव जाति का आदमी मारपीट करता है तो उस वक्त इस कानून को लागू किया जा सकता है इस कानून का उपयोग करके हरिजन वाला व्यक्ति यादव वाले व्यक्ति को कड़ी सजा दिला सकता है इस एक्ट के तहत वह व्यक्ति कठोर दंड का भागीदारी होता है इसके अलावा कानून में जमानत भी इतनी जल्दी नहीं मिलती है कानून गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आता है.
- एसटी एसी धारा SC ST Act के तहत छोटी जात वालों का हनन
- जैसे कि उन्हें रथ घोड़े की सवारी पर मनाई ,
- पूजा-पाठ और मंदिर में प्रवेश पर रोक,
- धार्मिक स्थानों पर रोक सर्वजनिक धर्मशाला भोजनालय आदि में प्रवेश पर पाबंदी संपत्ति रखने का अधिकार से वंचित
- राजनीतिक शास्त्र संबंधी अधिकार पर से भी रोक कुछ युद्ध कला सीखने पर भी उन्हें रोक
- इन सभी को देखते हुए इस एसटी एक्ट कानून को लागू किया गया
एससी एसटी धारा SC ST Act के तहत अपराध की श्रेणी
आपको बता दें कि एससी एसटी कानून के अंतर्गत सभी अपराध गंभीर श्रेणी में आते हैं इसलिए इस कानून को संघीय अपराध की श्रेणी में रखा गया है एससी एसटी कानून के अंतर्गत आपको किसी भी हालत में जमानत नहीं मिल पाती क्योंकि यह गैर जमानती श्रेणी में रखा गया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को जल्द में जल्द ही संज्ञान में लेने के पश्चात इस कारण में थोड़ा सा बदलाव किया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को यह भी लगने लगा था।
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कि एससी एसटी एक्ट मामलों में किसी न किसी को फसाने के उद्देश्य से लगाया जाता है. इसलिए इस की गाइडलाइंस के अनुसार किसी व्यक्ति को शिकायत दर्ज होने पर तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा मामले की छानबीन करने के पश्चात ही व्यक्ति को दोषी पाया जाएगा तो ही गिरफ्तार किया जाएगा।
एससी एसटी क्योंकि ऐसी कोई भी व्यक्ति किसी को भी फंसा सकता है अपने इस कानून का प्रयोग करके इसलिए इस एससी एसटी कानून को सुप्रीम कोर्ट ने बदलाव किए ताकि किसी शरीफ आदमी को कोई भी आदमी फसाना सके.
सजा का प्रावधान
यदि कोई व्यक्ति एसटी एक्ट के दौरान किसी गरीब व्यक्ति को मारपीट कर देता है तो तो उसे कम से कम 6 साल की जेल हो सकती है और साथ ही साथ यदि है मुकदमा हरिजन एक्ट का हुआ तो इसमें व्यक्ति को मुआवजा भी देना पड़ सकता है इस कानून के तहत अनुसूचित जाति और जनजाति को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए एफ आई आर दर्ज होने के बाद उसे कम से कम 40,000 से लेकर 500000 तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
सुप्रीमकोर्ट का नजरिया इस एक्ट के तहत
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि जो अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति हैं उनके लिए कानून बहुत ही लचीला है क्योंकि वह इसका दुरुपयोग भी कर सकते हैं एक हथियार के तौर पर क्योंकि यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को प्रताड़ित करता है और उस पर एससी एसटी एक्ट चला लागू होता है तो वह इसका गलत फायदा भी उठा सकता है सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि इस तरह के मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी पहले इस मामले की जांच होगी उसके बाद ही किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाएगा या सजा दी जाएगी।
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