आज हम बात करेंगे एलसीडी की फुल फॉर्म क्या होती है एलसीडी का इतिहास क्या है एलसीडी के बारे में हम आज विस्तार पूर्वक बात करेंगे तो चलिए आपको उसके बताते है।
आपको बता दें कि एलसीडी का फुल फॉर्म होता है लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले LCD is Liquid Crystal Display यह एक फ्लैट पैनल डिस्पले टेक्नोलॉजी की बनी होती है. जिसका हम आमतौर से टीवी या कंप्यूटर मॉनिटर में इस्तेमाल करते हैं। इसका इस्तेमाल मोबाइल डिवाइस की स्क्रीन को में भी किया जाता है. जैसे कि लैपटॉप ,टैबलेट और स्मार्टफोन में। एलसीडी LCD डिस्पले ना केवल सीआरटी मॉनिटर CRT monitor के तुलना में आगे अलग दिखता है बल्कि यह काम भी बहुत ही अलग ढंग से करता है ,यह सीआरटी मॉनिटर के जैसे इतने बड़े और bulky नहीं होते हैं यहां पर गिलास स्क्रीन पर इलेक्ट्रॉनिक को फायर नहीं किया जा सकता बल्कि एलसीडी में बैक लाइट होती है जो कि लाइट प्रोवाइड करती है सभी individuals pixels को जिससे कि रैक्टेंगुलर ग्रिड rectangular grid के जैसे अरेंज किया जाता है.
आपको बता दें कि सभी पिक्सेल में रेड ग्रीन और ब्लू सबपिक्सल subpixels मौजूद होते हैं जिससे कि ओनर ऑफ किया जा सकता है, जब पिक्सेल के सभी सबपिक्सलsubpixels को ऑफ कर दिया जाता है तब यह ब्लैक नजर आता है। और जब सभी सबपिक्सल subpixels को ऑन कर दिया जाता है तब यह वाइट नजर आता है ,इन सभी red, green और blue light को adjust कर million color combinations बनाया जाता है.
एलसीडी क्या है
आपको बता दें कि हम पहले ही आपको बता चुके हैं कि LCD का फुल फॉर्म होता है लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले Liquid Crystal Display . आपको बता दें कि इसकी खोज सबसे पहले 1888 में की गई थी तब से लेकर आज तक इसका इस्तेमाल धीरे-धीरे बढ़ने में लगा है. यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसका इस्तेमाल डिस्प्ले के हिसाब से किया जाता है। जहां पर आप एप्लीकेशन स्टेटस, डिस्पले वैल्यू प्रोग्राम के जैसे बहुत सारे कार्य कर सकते हैं. एलईडी और प्लाज्मा LED and Plasma टेक्नोलॉजी के जैसे ही इसमें भी डिस्प्ले सीआरटी टेक्नोलॉजी CRT technology के मुकाबले बहुत ही पतली होती है। एलसीडी बहुत ही कम पावर यूज करती है। एलईडी और ग्लास डिस्प्ले के मुकाबले क्योंकि वह ब्लॉकिंग लाइट के प्रिंसिपल में काम करती है ना कि Emitting के.,
आपको बता दें कि एक एलईडी आमतौर पर पैसिव मैट्रिक्स passive matrix या एक्टिव मैट्रिक्स डिस्पले ग्रिड active matrix display grid से बनी होती है. यह active matrix LCD को thin film transistor (TFT) display भी कहा जाता है. वही passive matrix एलसीडी में जो ग्रिड को कंडक्टर के थ्रू होते हैं. पिक्सेल के साथ जुड़े होते हैं जो कि इंटरेक्शन पर लोकेटेड होते हैं. current को ग्रेड पर दो कंडक्टर के across भेजा जाता है ,किसी भी पिक्सेल के लिए एक एक्टिव मैट्रिक्स में सभी पिक्सेल इंटरेक्शन पर एक ट्रांजिस्टर पर लगे होते हैं जिससे कि इन्हें हम करंट की जरूरत होती है तो पिक्सेल को चलाने के लिए.
यही कारण है कि एक्टिव मैट्रिक डिस्प्ले में करंट को बड़ी आसानी से स्विच ऑफ स्विच ऑन किया जा सकता है जिससे कि स्क्रीन रिफ्रेश टाइम को भी इंप्रूव किया जा सकता है कुछ पैसे मैट्रिक्स एलसीडी में dual scanning के रूप में काम करते हैं इसका मतलब यह है कि वह ग्रेड के दो बार स्कैन कर सकते हैं उसी करंट में जितनी में कि वह ओरिजिनल टेक्नोलॉजी की मदद से सिर्फ एक बार में ही स्कैन हो पा रही थी.
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Working Principle of LCD
LCD की बैक लाइट backlight even light source provide करती है स्क्रीन के पीछे से यह लाइट पोलराइज्ड polarized होती है, मतलब कि केवल आधी लाइट ही iquid crystal layer के through shine करती है. यह लिक्विड क्रिस्टल liquid crystals कुछ solid part से कुछ लिक्विड सब्सटेंस से बनी होती हैं। जिससे कि आसानी से ट्विस्ट किया जा सकता है उसमें इलेक्ट्रिक वोल्टेज अप्लाई करके वह पोलराइज्ड लाइट को ब्लॉक कर देती हैं जब वह ऑन रहती हैं। लेकिन रेड ,ग्रीन और ब्लू लाइट रिफ्लेक्ट करती है जब वह एक्टिव होती है.
सभी एलसीडी स्क्रीन में पिक्सेल का मैट्रिक्स होता है जो स्क्रीन पर image display करता है। पहले एलसीडी में पैसिव मैट्रिक्स स्क्रीन हुआ करती थीं, जो पंक्तियों row और स्तंभों column में चार्ज भेजकर अलग-अलग पिक्सल को नियंत्रित control करती थीं। चूंकि हर सेकंड बहुत limited charges भेजे जा सकते थे, passive-matrix screen में images blurry नज़र आते हैं जब images को screen के across भेजा जाता था.लेकिन आपको बता दें कि आज कल के एलसीडी में एक्टिव मैट्रिक्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है जो कि thin film transistor contain करते हैं जिन्हें हम TFT टीएफटी भी कहते हैं इनका transistor में कैपेसिटर होता है, जो कि इंडिविजुअल फिक्सल को अनेबल करता है. इसलिए सक्रिय-मैट्रिक्स एलसीडी निष्क्रिय-मैट्रिक्स डिस्प्ले की तुलना में अधिक कुशल और अधिक प्रतिक्रियाशील दिखाई देते हैं।
Types of LCD:
I. Field Effect Display (FED):
II. Dynamic Scattering Display (DSD)
LCD TVs में colored pixels कैसे काम करते हैं
पहले लाइट सबसे पहले ट्रेवल करती है टीवी के पीछे लगे bright light से front की और.
एक होरिजेंटल पोलराइजिंग horizontal polarizing फिल्टर जिससे कि लाइट के सामने रखा जाता है वह ब्लॉक करता है सारे लाइटवेव light waves को वही केवल उन्हीं को नहीं कर पाता जो कि होरिजेंटल वाइब्रेट कर रही होती हैं केवल वही लाइटवेव इन्हें पार्क्स कर सकती हैं जो कि होरिजेंटल वाइब्रेट करती है.
एक ट्रांजिस्टर इस पिक्सेल को स्विच ऑफ कर देता है जब वह लिक्विड क्रिस्टल से इलेक्ट्रिसिटी स्लो होने लग जाती हैं तो वे स्विच ऑन कर देता है जिससे कि क्रिस्टल स्टेट आउट हो जाता है और लाइट आसानी से आगे चली जाती है बिना किसी बदलाव के.
आज हमने जाना कि एलसीडी क्या होती है ,एलसीडी कैसे काम करती है, एलसीडी के इतिहास के बारे में हमने विस्तार पूर्वक जाना है यदि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ ही से जरूर शेयर करें और आपका कोई सुझाव है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं.