परिचय
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारत जैसे शहर में बहुत प्रकार के जंगल हैं हर गांव और कब से कस्बा जंगलों में ही बसा पड़ा है आज हम बात करने वाले हैं भारत में कितने प्रकार के जंगल हैं और उनका क्या इतिहास है इसके बारे में काफी लोगों को पता है तो उसके बारे में हम आपको संपूर्ण जानकारी देंगे तो चलिए आपको उसके बारे में बताते हैं.
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारत की जलवायु हर शहर में अलग-अलग होती है जिसकी वजह से वहां पर तरह-तरह के पेड़ पौधे उग जाते हैं जिसे हम वनस्पति कहते हैं वनस्पति आगे चलकर वन का रूप लेती है भारत में घास के मैदान कमी पाए जाते हैं वर्षों के दिनों में पहाड़ों पर खूब जंगल झाड़ियों की जाती हैं जिससे कि वहां सदाबहार पेड़ बन जाते हैं हिमालय के ऊपर जाएंगे तो आपको बड़े बड़े पहाड़ के ऊपर बड़े बड़े पेड़ देखने को मिलेंगे जिसे हम जंगल कहते हैं।
भारत में वनों का इतिहास
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारत में वन संरक्षण के लिए उसकी खेती को बचाने के लिए वन संरक्षण अधिनियम लागू किया गया जो कि 1865 से 1894 तक वन संरक्षण स्थापित किया गया था।
बाद में वन प्रबंधन प्रणाली को वन लगाने के लिए योजना बनाई फिर लोगों ने जंगल वन संरक्षण में रुचि लेना शुरू किया उसके बाद भारतीय राज्य सरकारों ने पक्षी और पशु के संरक्षण में मदद करने वाले लोगों को संरक्षण देना शुरू कर दिया। क्योंकि 1926 से 1947 के बीच पंजाब और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया भारत में जात राष्ट्रीय उद्यानों का निर्माण किया गया संरक्षण से यह लागू हुआ कि कई जनजातियां विलुप्त होने से बच गई।
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भारत की एक तिहाई बन को सुरक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है जो कि वनों को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए यह नियम लागू किया गया और वनों के संरक्षण का अभियान चालू किया गया लगभग 5 साल के बाद एक योजना के माध्यम से उस को संरक्षित करने के लिए संरचना बनाई गई जो
कि 1980 में वन संरक्षण अधिनियम पारित किया गया इस नियम के बाद वन संरक्षण किया गया उनकी कटाई पर रोक लगाई गई जिससे कि वनों की रक्षा की जा सके कटाई चल रही थी और वहां पर बसे लोगों को रहने के लिए घर नहीं मिल रहे थे इसलिए सरकार ने वनों की कटाई पर रोक लगा दी
वनों के प्रकार
आपको बता दें कि 5 भागों में बांटा गया है जो कि इस प्रकार हैं सबसे पहले हैं सदाबहार वन ,दूसरे नंबर पर आता है पड़पटी वन तीसरे पर कांटेदार वन, चौथे नंबर पर पर्वतीय वन,पांचवें नंबर पर अनूप वन।
पर्वतीय वन
बात कीजिए पर्वतीय वन को तो बात की जाए पर्वतीय वन की तो इसे हिमालय परदेसिया वन भी कहते हैं। इस प्रकार के वन ऊंचाई वाले स्थान पर ज्यादा पाए जाते हैं जैसे कि हिमालय इस प्रदेश में अनेक प्रकार की पेड़ पौधे बहुत ही उचाई पर पाए जाते हैं। जो अनेक प्रजातियों के लिए विभिन्न विभिन्न प्रकार के लिए कार्य करती हैं अधिक ऊंचाई वाले भागों में निकली पत्ती वाले वन पाए जाते हैं जो कि 17 से 18 मीटर से अधिक ऊंची होते हैं नीचे वाले भाग में चौड़ी पत्ती वाले वन पाए जाते हैं जिसकी ऊंचाई लगभग 6 से 9 मीटर तक होती है. हिमालय के पूर्वी भाग में आशा मणिपुर और पश्चिम बंगाल में अधिक वर्षा होने के कारण वाहन पाए जाते हैं.
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सदाबहार वन
यह वह वन है जो कि 200 सेंटीमीटर की औसत ऊंचाई से लेकर 25 के तापमान वाले क्षेत्र में अधिक पाए जाते हैं उत्तर में हिमालय की तलहटी में पूर्व हिमालय के प्रदेश दक्षिण और पश्चिम में इस प्रकार के वन ज्यादा पाए जाते हैं।
जो कि केरला कर्नाटका के राज्य है जहां पर बहुत घने प्रकार के वन पाए जाते हैं बात की जाए इसके पश्चिम भागों की तो इसके 25 भागों में 450 मीटर से लेकर 1300 मीटर तक वन पाए जाते हैं जिसकी पत्तियों से कागज बनाए जाते हैं जैसे कि बांस के पेड़ रबड़ इत्यादि सदाबहार वन कहलाते हैं.
पतझड़वाले वन
इस प्रकार के वन मुख्य रूप से मध्य भाग में पाए जाते हैं इसके अलावा उत्तर पश्चिम में भी पाए जाते हैं जो कि हरियाणा राज्य पंजाब मध्य प्रदेश तमिल नाडु कर्नाटका जैसे राज्य है जहां है अधिक मात्रा में पाए जाते हैं यह ज्यादातर नदियों के किनारे पाए जाते हैं जैसे कि कृष्णा गोदावरी नर्मदा इत्यादि नदियां हैं बाकी जैन के पत्तों की तो इनके पत्तों की लंबाई 1800 मीटर से लेकर 1000 मीटर तक होती है।
मरुस्थलीय वन
मरुस्थलीय वन वह बन कहलाते हैं जो कि कांटेदार होते हैं इसमें कांटे लगे होते हैं यह मुख्य रूप से राजस्थान में पाए जाते हैं जिनकी लंबाई 6 से 9 मीटर तक होती है इन वृक्षों की मोटाई तथा गहराई काफी नीचे तक होती है क्योंकि जल के अभाव में है अपने आप को बचाने के लिए ज्यादा नीचे चले जाते हैं और उनकी जड़े फैल जाती हैं इनकी पत्तियां बहुत ही छोटी होती हैं क्योंकि यह ज्यादा पानी नहीं सकती इसलिए इनकी जड़ों को कम पानी की आवश्यकता होती है जैसे कि कीकर बबूल नागफनी खजूरी इत्यादि
दलदली वन
दलदली वन है जो कि ज्वार भाटा वन के नाम से पुकारे जाते हैं यह वन डेल्टाईहै तथा पूर्वी घाटी के क्षेत्रों में पाए जाते हैं क्योंकि इनकी दलदली मिट्टी होती है जो कि नबी सूखने की शक्ति बहुत ज्यादा होती है। इन इन पेड़ों की ऊंचाई लगभग 30 से 35 मीटर के आसपास होती है जो कि नदी के किनारे पाई जाती हैं जैसे कि गंगा ब्रह्मपुत्र की नदियां जिनका डेल्टा क्षेत्र बहुत ही अधिक होता है जिनके आसपास की पेड़ पौधे दलदल में उगते हैं जैसे कि नारियल खेवडा के पौधे इस जंगल को सुंदरबन भी जंगल कहा जाता है.
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