विश्व में कृषि प्रधान देश की उपलब्धि भारत को प्राप्त है। यहां की जलवायु सभी देशों की तुलना में बहुत अच्छी मानी जाती है, इसलिए यहां विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। भारत में गेहूँ, धान और गन्ना प्रमुख फसलें मानी जाती हैं। भारत में गन्ने का प्रयोग कई चीजों को बनाने में किया जाता है, जिसमें मुख्य काम गन्ने से चीनी और गुड़ बनाना है। चीनी और गुड़ दोनों ही बहुत उपयोगी होते हैं, जो अच्छी कीमत पर भी बिकते हैं। इसलिए जो किसान farmers गन्ना उगाते हैं, वे गन्ने की फसल सरकार को चीनी मिल को बेचते हैं और उन्हें उचित मूल्य मिलता है। इसमें गन्ने के भाव में एफआरपी FRP का भी नियम है, जिससे गन्ने की कीमत प्रभावित होती है। अगर आप किसान है.तो आज हम बात करेंगे एफआरपी FRP क्या होता है, एफआरपी को फुल फॉर्म क्या होता है, एफआरपी FRP को हिंदी में क्या कहते हैं इसके बारे में हम आपको संपूर्ण जानकारी देंगे।
एफआरपी का फुल फॉर्म
FRP का फुल फॉर्म “Fair and Remunerative Price” है, हिंदी में “उचित और लाभकारी मूल्य” कहा जाता है। एफआरपी FRP का नियम केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है, जिसका लाभ सीधे किसानों को जाता है, चीनी का वित्तीय वर्ष financial year यानी विपणन वर्ष marketing year अक्टूबर से सितंबर तक होता है।
एफआरपी FRP क्या होता है?
एफआरपी FRP गन्ना किसानों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य है, चीनी मिलों को इस न्यूनतम मूल्य पर किसानों से गन्ना खरीदना पड़ता है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) हर साल एफआरपी FRP की सिफारिश करता है। गन्ना सहित अन्य प्रमुख कृषि उत्पादों की कीमतों के लिए सीएसीपी सरकार को अपनी सिफारिश भेजता है। जिसके बाद उस सिफारिश पर विचार करने के बाद सरकार द्वारा इसे लागू किया जाता है. गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के तहत एफआरपी FRP निर्णय लेता है।
इसके अलावा सरकार का कहना है कि गन्ने की दर में वृद्धि से लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके परिवारों और चीनी मिलों की संबद्ध गतिविधियों और उसमें काम करने वाले 5 लाख श्रमिकों को इसका लाभ मिलेगा. यह फैसला देश के गन्ना किसानों और उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.
एफआरपी FRP से किसानो को होने वाला फ़ायदा
इस एफआरपी FRP से कीमत में बढ़ोतरी से देश के सभी किसानों को कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि जिन राज्यों में गन्ने का उत्पादन ज्यादा होता है, वे अपनी फसल की कीमत खुद तय करते हैं। जिसे SAP (State Advisory Price) कहा जाता है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा राज्यों के किसान अपनी फसल के लिए एसएपी खुद तय करते हैं।
Read More: HR ka Full Form Kya Hota Hai
आमतौर पर, SAP का मूल्य केंद्र सरकार के FRP मूल्य से अधिक होता है। यदि वर्तमान में वृद्धि के बाद एफआरपी FRP 285 रुपये प्रति क्विंटल है, तो उत्तर प्रदेश में गन्ने की सामान्य किस्म के लिए एसएपी 315 रुपये प्रति क्विंटल होगा। इस तरह इन राज्यों के किसानों को केंद्र सरकार द्वारा उन राज्यों में एफआरपी FRP बढ़ाने से किसी भी तरह का लाभ नहीं मिलेगा जहां एसएपी की व्यवस्था लागू है।
गन्ना एफआरपी FRP प्रति क्विंटल क्या है
देश में गन्ने का राष्ट्रीय मूल्य 290 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन किसानों को गन्ने का भुगतान SAP (State Advisory Price) और राज्यों द्वारा जारी वसूली के आधार पर किया जाएगा. पंजाब सरकार ने 24 अगस्त को राज्य के किसानों के लिए 360 रुपए प्रति क्विंटल एसएपी SAP तय किया है। इसलिए पंजाब के किसानों को गन्ने का अधिकतम मूल्य 360 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा।
वहीं केंद्र सरकार ने जहां 290 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत तय की है, वहीं 10 फीसदी रिकवरी हो रही है. 9.5 प्रतिशत से कम की वसूली होने पर गन्ना किसानों को मात्र 275.50 रुपये प्रति क्विंटल का ही भुगतान किया जाएगा।
गन्ने में 5 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है जबकि पिछले साल 10 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई थी। सरकार का दावा है कि एफआरपी के बाद किसानों को अगले साल करीब 1 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे, जबकि पिछले साल 91,000 करोड़ रुपये थे।FRP Qunital
गन्ना किसानों का बकाया मूल्य
केंद्र सरकार देश के किसानों को समय पर भुगतान कर रही है. इसके लिए सरकार का कहना है कि चीनी निर्यात और एथेनॉल निर्माण के कारण उद्योग की स्थिति में सुधार को महत्वपूर्ण बताया गया है। इससे पहले 2019-20 में गन्ना किसानों को 76,000 करोड़ का भुगतान किया जाना था, जिसमें से 75,700 करोड़ का भुगतान सरकार द्वारा किसानों को किया जा चुका है। यानी किसानों को करीब 142 करोड़ रुपये का भुगतान अभी बाकी है।
Read More: SDM ka Full Form Kya Hota Hai
उसी वर्ष 2020-21 में गन्ना किसानों को सरकार द्वारा 91,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना था, जिसमें से 90,872 करोड़ रुपये के गन्ने की खरीद की गई और 86,000 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया गया है। इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी अन्य योजनाओं के कारण जहां गन्ना किसानों को सालों पहले भुगतान के लिए इंतजार करना पड़ता था, वह अब तुरंत हो रहा है. देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की हमेशा से चिंता रहती है कि गन्ना किसानों को उनका भुगतान समय पर किया जाए।
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी लगातार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए काम कर रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार ने देश के गन्ना किसानों के लिए एफआरपी FRP बढ़ाने का फैसला किया है. एफआरपी FRP यानी उचित और लाभकारी मूल्य वह है जिससे कम चीनी मिलें गन्ना किसानों को भुगतान नहीं कर सकती हैं।